Karnal GK in Hindi - History of Karnal - करनाल जिले का इतिहास

 

करनाल जिले का इतिहास –History of Karnal

दन्तकथा के अनुसार करनाल ( Karnal ) शहर को महाभारत के राजा कर्ण ने बसाया था। पुराणों के अनुसार यह क्षेत्र महाभारत से जुड़ा हुआ है|

ऐसा माना जाता है कि करनाल नगर में आधुनिक कर्णताल के स्थान पर राजा कर्ण प्रतिदिन सोना दान किया करते थे। यहाँ पर भगवान कृष्ण और दानवीर कर्ण की मूर्तियों पर सुंदर घण्टा बना हुआ है।

·     1573 ई० में अकबर के खिलाफ विद्रोह के समय इब्राहिम मिर्जा ने यहाँ लूटमार की थी। 1739 ई० में नादिरशाह ने मुगल बादशाह मुहम्मद शाह को यहीं पर हराया था।

·     1787 ई० में मराठा शासकों ने इस पर अपना कब्जा कर अपने आश्रित आडम्बरी आयरिश साहसिक जॉर्ज थॉमस को दे दिया था। 1805 ई० में अंग्रेजों ने इस पर अपना अधिकार कर लिया।

·     1909 ई० में मार्ले मिन्टो सुधार के पश्चात करनाल ( Karnal ) में मौलवी अब्दुल गनी पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। यहाँ के निवासियों ने 1919 ई० के रौलेट एक्ट के जमकर विरोध किया था।

असयोग आंदोलन तथा 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी यहाँ के नागरिक सक्रिय रहे।

करनाल कब बना Karnal Kab Bana

करनाल जिला ( Karnal District ) हरियाणा राज्य बनने से पूर्व पंजाब राज्य का एक छोटा सा हिस्सा था। बाद में कई बार इस जिले का विभाजन हुआ। 1 नवम्बर 1966 को हरियाणा राज्य बनने के समय करनाल को हरियाणा का जिला बना दिया गया।

करनाल को विश्व के मानचित्र में धान का कटोरा तथा हरियाणा का पेरिस जैसे उपनामों से जाना जाता है। तराइन ( तरावड़ी ) करनाल जिले का वह स्थान है जहाँ पृथ्वीराज चौहान मुहम्मद गौरी के बीच युद्ध लड़े गए थे।

Ø करनाल जिले को किसने बसाया?

    एक मान्यता के अनुसार करनाल जिले को कर्ण ने बसाया था|

Ø हरियाणा के किस जिले को धान का कटोरा कहा जाता है?

    हरियाणा के करनाल जिले को हरियाणा का पेरिस तथा धान का कटोरा भी कहा जाता है|

Ø करनाल का पिन कोड क्या है?

    Karnal Ka Pin Code 132001 है|

प्रमुख संस्थान

Ø नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI) :-1955 में स्थापित इस संस्थान में दूध दूध उत्पादों के प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) का अध्ययन किया जाता है। साथ ही यहाँ पर अनुसंधान शिक्षण प्रशिक्षण का कार्य होता है।

पहले यह बंगलौर में 1923 में  Imperial Institute For Animal Husbandry & Dairying के रूप में स्थापित किया गया। 1936 में इसका नाम इम्पीरियल डेयरी इंस्टीट्यूट रख दिया गया।

1955 में इसे बंगलौर से करनाल ( Karnal ) स्थानांतरित कर दिया गया। 1989 में इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया। NDRI  ने प्रथम आई० वी० एफ० भैंस  तैयार कर विश्वविख्याति अर्जित की है।

Ø डायरेक्टरेट ऑफ व्हील रिसर्च (DWR) :- इसकी स्थापना 1979 में की गई थी।

Ø नेशनल ब्यूरो ऑफ एनीमल जेनेटिक रिसोर्सिज (NBAGR) :-इसकी स्थापना 1985 में कई गई थी।

Ø नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनीमल्स जेनेटिक्स ( NIAG) :- इसकी स्थापना 1984 में की गई थी। यहाँ पर अनुसंधान, शिक्षण तथा प्रशिक्षण कार्य किया जाता है।

Ø सेंट्रल सोमल सेलेनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट ( CSSRI) :-  इसकी स्थापना 1969 में की गई थी।

Ø फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) हरियाणा :-  इसे रोहतक में 1973 में स्थापित किया गया था तथा 1976 में मधुबन (Karnal) में स्थानांतरित कर दिया गया।

प्रमुख उद्योग

 चीनी उद्योग, लिबर्टी शू उद्योग तथा वनस्पति यूनिट्स यहाँ के प्रमुख उद्योग है।

प्रमुख स्थल

Ø कुंजपुरा:-  यह स्थान करनाल ( Karnal ) जिले में स्थित है। पानीपत की तीसरी लड़ाई से पूर्व अहमदशाह अब्दाली ने कुंजपुरा में अपने सरदारों के लिए एक शक्तिशाली केंद्र बना लिया था| जिसपर मराठों ने आक्रमण करके अपना अधिकार जमा लिया। कुंजपुरा नवाब नजाकत खां की राजधानी रहा है।

Ø तरावड़ी:-  तरावड़ी का प्राचीन नाम तराइन था। मध्यकाल 1191 ई० 1192 ई० में मुहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान के बीच तराइन का प्रथम द्वितीय युद्ध इसी तरावड़ी क्षेत्र में हुआ था। कालांतर में मुगल शासक ओरंगजेब के पुत्र आजम का न्म यहीं पर हुआ था। उसके नाम पर इसका नाम आजमाबाद रखा गया, बाद में परिवर्तित होकर तरावड़ी हो गया। बासमती  चावल का विदेशों में निर्यात यहीं से होता है।

Ø कर्ण जलाशय:  महाभारत के युद्ध मे राजा कर्ण ने दुर्योधन का साथ दिया था। वह अपनी दानवीरता के लिए ख्याति प्राप्त था। उसी के नाम पर इस जलाशय का निर्माण किया गया था।

Ø बस्तली गांव:-   यह कैथल – करनाल मार्ग पर स्थित है। इस गांव में महर्षि वेदव्यास का आश्रम बना हुआ है। उन्होंने यही पर महाभारत की रचना की थी। माना जाता है कि यहाँ नीचे से गंगा बहती थी तथा कुँए के द्वारा गंगा का पानी ऊपर आता था, जिसमें महर्षि स्नान करते थे।

Ø कुंजपुरा व तरावड़ी के किले :-  जिला करनाल ( Karnal )में स्थित कुंजपुरा नामक स्थान पर छोटी छोटी ईंटो से बना हुआ एक किला है जहाँ अब सैनिक स्कूल चल रहा है। करनाल के तरावड़ी नामक स्थान पर भी एक किला है जो आज भी विधमान है।

Ø कलन्दर शाह गुबंद:-  अली कलन्दर शाह को समर्पित इस गुबंद का निर्माण दिली के शासक गयासुद्दीन बलबन ने कराया था। इस गुबंद में मस्जिद, जलाशय तथा झरने का निर्माण भी किया गया है।

Ø सीता माई मन्दिर:-  जिले के माई गांव में यह मंदिर स्थित है। मन्दिर का कुछ भाग मुस्लिम शासकों द्वारा नष्ट कर दिया गया था। कहा जाता है कि इसी स्थान पर सीता जी धरती में समा गई थी।

प्रमुख मकबरे व मजार

1.  मीरा साहब का मकबरा

2.  केसरमल बोरी की मजार

3.  सवर सिंह बोरी की मजार

4.  बहादुर खां की मजार

5.  मोहम्मद अली की मजार

6.  इलाही बक्स की मजार

7.  शाह अली कलन्दर की दरगाह

करनाल में प्रमुख मेले

1) बाबा सिमरनदास का मेला :- जिले के इंद्री कस्बे में अक्टूबर माह में बाबा सिमरनदास की समाधि पर इस मेले का आयोजन किया जाता है।

2) देवी का मेला :- यह मेला करनाल में पटहेड़ा नामक स्थान पर अप्रैल के महीने में लगता है।

3) गोगापीर का मेला :- करनाल जिले के खेड़ा नामक स्थान पर भादों मास की नवमी को यह मेला लगता है।

4) परासर का मेला :- करनाल ( Karnal ) के ऐतिहासिक तरावड़ी नामक स्थान पर फरवरी माह में परासर का मेला लगता है, जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है।

5) पाण्डु का मेला :- इस मेले का आयोजन पपहना नामक स्थान पर प्रत्येक महीने होता है।

6) छड़ियों का मेला :- करनाल ( Karnal ) के अमपुर नामक स्थान पर सितम्बर माह में इस मेले का आयोजन किया जाता है इसमे धार्मिक छड़ी की पूजा होती है।

करनाल से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

1.  राजा गजपतसिंह का किला करनाल जिले में है|

2.  मुग़लपुल करनाल जिले में स्थित है|

3.  कर्ण झील भी करनाल जिले में है|

4.  कर्ण स्टेडियम

5.  Ignou केंद्रीय विश्वविद्यालय 1991

6.  वन स्टॉप सेंटर ( महिला सुरक्षा)

7.  बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय

8.  आलू प्रोधोगिकी केंद्र

9.  आम उत्पादन में प्रथम

10. सेंट जेम्स चर्च

11. जनसंख्या के अनुसार हरियाणा का सबसे छोटा नगर निगम

12. ककरोई सूक्ष्म जल विद्युत परियोजना 1999

13. NCC  अकेडमी प्रस्तावित

14. माजी साहिब गुरुद्वारा

15. अदिति का मंदिर

16. शिव मंदिर

प्रमुख व्यक्तित्व

1. कल्पना चावला :-  भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक वैज्ञानिक व भारतीय मूल की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म इसी जिले में 1 जुलाई 1961 को हुआ था।

1997 में एसटी एस 87 मिसन के लिए पहली अंतरिक्ष यात्रा की तथा 16 जनवरी 2003 को केपकेनेड़ी अंतरिक्ष केंद्र से कोलम्बिया के एसटीएस 113 मिशन के द्वितीय यात्रा पर रवाना हुई।

1 फरवरी 2003 को पृथ्वी पर वापस लौटते समय 16 मिनट पूर्व टेक्सास के ऊपर उनका दुखद अंत हो गया। METSAT भारतीय सेटेलाइट (प्रथम मौसम उपग्रह) को कल्पना चावला की स्मृति में कल्पना 1 नाम दिया गया है।

2. अश्विनी कुमार    ( मोहिद्दीनपुर )

3. अनूप लाठर       ( सिनेमा )

4. हरप्रीत सिंह       ( खिलाड़ी )

 

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